कई सालों से ज़ोमाटो और स्विग्गी जैसी कंपनियों के लिए डिलीवरी करने वाले मजदूरों की आमदनी धीरे धीरे गिरती ही जा रही है. कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन के समय से समस्या और गंभीर हो चुकी है.
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कई सालों से ज़ोमाटो और स्विग्गी जैसी कंपनियों के लिए डिलीवरी करने वाले मजदूरों की आमदनी धीरे धीरे गिरती ही जा रही है. कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन के समय से समस्या और गंभीर हो चुकी है. कई हफ़्तों के लिए राइडर्स की आमदनी पूरी तरह बंद हो गई. इस समय भी कंपनियों की तरफ से कुछ खास मदद नहीं आई. कई राइडर्स की ID इस समय भी खुली नहीं है.
राइडर्स की मेहनत से ये कमपनीय आज दुनिया भर की जानी मानी ब्रांड बन चुकी है. लेकिन मजदूर को प्रमोशन देने की जगह उसकी पगार आधी की जा रही है. ये नाइंसाफी है.
राइडर्स के पगार की दर में कटौती और काम से जुडी समस्याओ के बारे में कुछ ना कर पाने का कारण है राइडर्स का संघठित ना होना. अपनी बात रखने के लिए और अपनी नाराज़गी दिखाने के लिए प्रदर्शन और स्ट्राइक जरुरी है – लेकिन ये काफी नहीं है. मजदूर संगठन के ज़रिये हम अपने दिमाग और मजदूर शक्ति का लम्बे संघर्ष के लिए उपयोग कर सकते है.
निराश हो कर हार मानने का मतलब भूखा मरना है. मुक्तिवादी एकता मोर्चा से जुड़ेअपना हक़ और अच्छे जीवन के लिए संगठित बने.
संपर्क करें : 9806578808